डिमेंशिया: संक्षेप में कहें तो डिमेंशिया किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक बड़े से लक्षणों के समूह का नाम है (संलक्षण, syndrome)। डिमेंशिया को कुछ लोग “भूलने की बीमारी” कहते हैं, परन्तु डिमेंशिया सिर्फ भूलने का दूसरा नाम नहीं हैं, इसके अन्य भी कई लक्षण हैं–नयी बातें याद करने में दिक्कत, तर्क न समझ पाना, लोगों से मेल-झोल करने में झिझकना, सामान्य काम न कर पाना, अपनी भावनाओं को संभालने में मुश्किल, व्यक्तित्व में बलाव, इत्यादि। यह सभी लक्षण मस्तिष्क की हानि के कारण होते हैं, और ज़िंदगी के हर पहलू में दिक्कतें पैदा करते हैं। डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों की वजह से पैदा हो सकते हैं, जैसे कि अल्जाइमर रोग, लुई बाडिस, वास्कुलर डिमेंशिया (नाड़ी सम्बंधित),पार्किन्सन, इत्यादि।
लक्षणों के कुछ उदाहरण: हाल में हुई घटना को भूल जाना, बातचीत करने समय सही शब्द याद न आना, बैंक की स्टेटमेंट न समझ पाना, भीड़ में या दूकान में सामान खरीदते समय घबरा जाना, नए मोबाईल के बटन न समझ पाना, ज़रूरी निर्णय न ले पाना, लोगों और साधारण वस्तुओं को न पहचान पाना, वगैरह। रोगियों का व्यवहार अकसर काफी बदल जाता है। कई रोगी ज्यादा शक करने लगते हैं, और आसपास के लोगों पर चोरी करने का, मारने का, या भूखा रखने का आरोप लगाते हैं। कुछ व्यक्ति अधिक उत्तेजित रहने लगते हैं, कुछ अन्य व्यक्ति लोगों से मिलना बंद कर देते हैं और दिन भर चुपचाप बैठे रहते हैं। कुछ रोगी अश्लील हरकतें भी करने लगते हैं। कौन सा व्यक्ति कौन से लक्षण दिखाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके मस्तिष्क के किस हिस्से में हानि हुई है। किसीमे कुछ लक्षण नज़र आते हैं, किस्से में कुछ और। जैसे कि, कुछ रोगियों में भूलना इतना प्रमुख नहीं होता जितना चरित्र का बदलाव।
भारत में ज़्यादातर लोग इन सब लक्षणों को उम्र बढ़ने का आम नतीजा समझते हैं, पर यह सोच गलत है। ये लक्षण किसी बीमारी के कारण हैं, और इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना उपयुक्त है। पर डिमेंशिया की जानकारी कम होने के कारण, भारत में इन लक्षणों के साथ कलंक भी जुडा है। इसलिए, डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति यह सोच कर अपनी समस्याओं को छुपाते हैं कि या उन्हें पागल समझा जाएगा या लोग हंसेंगे कि क्या छोटी सी बात लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहते हैं! परिवार वाले इन लक्षणों को बुढापे का स्वाभाविक अंग समझ कर नकार देते हैं, और यह नहीं सोचते के सलाह पाने से इनमे सुधार हो सकता है। व्यक्ति को सहायता की ज़रूरत है, यह बात उन्हें नहीं पता। व्यक्ति के बदले हुए व्यवहार को परिवार वाले हट्टीपन या चरित्र का दोष या पागलपन समझते हैं, और कभी दुःखी और निराश होते हैं, तो कभी व्यक्ति पर गुस्सा करने लगते हैं।
Remember Those Who Cant Remember
No comments:
Post a Comment